मधुमेह से जुड़े ये तथ्य नहीं जानते होंगे आप
डॉक्टर अनूप मिश्रा
पिछले दो दशकों में भारत में आर्थिक विकास और अमीरी ने जीवनशैली में कई तरह के बदलाव किए हैं जिनमें सबसे अहम पोषाहार संबंधी बदलाव, आहार का वैश्वीकरण और शारीरिक निष्क्रियता हैं। इन सभी बदलावों का परिणाम मधुमेह और हृदय रोग के मामलों में बढ़ोतरी के रूप में सामने आया है। इन दो दशकों में मधुमेह का फैलाव दो गुना हो गया है जबकि अनुमान लंगाया जा रहा है कि अगले दो दशकों में मधुमेह के मामले में 170 से 200 फीसदी तक वृद्धि हो सकती है। शहरी और अर्धशहरी क्षेत्रों में मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों में मधुमेह के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
मधुमेह से जुड़े कुछ तथ्य (नीचे दिए गए सभी आंकड़े अलग-अलग अध्ययनों पर आधारित अनुमानित आंकड़े हैं और समय के साथ इनमें बदलाव संभव है )
- भारत में 6.5 करोड़ लोग मधुमेह से ग्रस्त हैं और देश के 18 वर्ष से अधिक की 8 फीसदी आबादी इस बीमारी की चपेट में है। यह संख्या साल 2030 तक 10 करोड़ पहुंचने का अनुमान है और तब मधुमेह के मामले में भारत का स्थान चीन के बाद दुनिया में दूसरा हो जाएगा। अब दुनिया का हर पांचवा मधुमेह रोगी भारतीय है। एक अध्ययन का निष्कर्ष है कि दिल्ली की 37 फीसदी आबादी या तो मधुमेह से ग्रस्त है या ग्रस्त होने की कगार पर (प्री डायबेटिक) है।
- भारतीयों में मधुमेह से ग्रस्त होने का अनुवांशिक झुकाव है और टाइप 2 मधुमेह के 75 फीसदी मरीजों में मधुमेह का पारिवारिक इतिहास रहा है।
- टाइप 2 मधुमेह के 90 फीसदी मरीज या तो सामान्य से अधिक वजन या फिर मोटापे के शिकार हैं।
- भारत में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। भारत के शहरों में रही 60 फीसदी महिलाएं या तो सामान्य से अधिक वजन की हैं या फिर मोटापे की शिकार हैं। महिलाएं मधुमेह, मधुमेह पूर्व की स्थिति और मधुमेह से जुड़ी जटिलताओं के मामले में पुरुषों के बराबर और कई बार उनसे ज्यादा जोखिम में होती हैं। इसी प्रकार एक अनुमान के अनुसार देश के एक तिहाई स्कूली बच्चे सामान्य से अधिक वजन के या फिर मोटे हैं जबकि अधिकांश महानगरों के 40 से 50 फीसदी स्कूली बच्चे इस स्थिति के शिकार हैं।
- मधुमेह से जुड़ी जटिलताएं किसी भी दूसरे देश के निवासियों के मुकाबले भारतीयों में आम हैं।
- करीब 20 फीसदी मधुमेह रोगियों में रेटिना से जुड़ी बीमारियां हो जाती हैं जो कई बार नेत्रहीन बना देती है।
- लंबे समय से मधुमेह के रोगी रहे 50 फीसदी लोग डायबेटिक न्यूरोपैथी (नर्व की बीमारी) के शिकार हो जाते हैं जिसके कारण संवेदनहीनता, न ठीक होने वाला फुट अल्सर और मर्दों में नपुंसकता हो सकती है। डायबेटिक फुट के कारण पैर काटे जाने के मामले में भारत दुनिया में शीर्ष पर है।
- डायबेटिक नैफ्रोपैथी के 20 से 30 फीसदी मरीजों को जिंदा रहने के लिए डायलेसिस या किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत जरूरत पड़ती है। भारत में किडनी फेल होने के पीछे मधुमेह और उच्च रक्तचाप सबसे आम वजह है।
- मधुमेह में खामोश हृदयाघात का जोखिम ज्यादा रहता है। मधुमेह के रोगियों में होने वाला हृदय रोग ज्यादा जटिल होता है और ज्यादा मौतों की वजह भी बनता है। मधुमेह रोगियों में मष्तिष्काघात का जोखिम भी ज्यादा होता है।
- भारत में मधुमेह संबंधित हृदय रोग के कारण सबसे अधिक मौतें होती हैं जो कि एचआईवी/एड्स, मलेरिया और टीबी के कारण होने वाली मौतों के कुल आंकड़े से भी अधिक है। भारत में हर दस सेकेंड में डायबिटीज संबंधी कारण से एक व्यक्ति की मौत होती है।
- भारत में वर्ष 2005 से 2015 के बीच मधुमेह और हृदयवाहिनी रोगों के कारण राष्ट्रीय आय में 336.6 अरब डॉलर के नुकसान का अनुमान है।
(देश के प्रसिद्ध डायबेटोलॉजिस्ट डॉक्टर अनूप मिश्रा की किताब 'डायबिटीज विद डिलाइट' से साभार। मधुमेह रोगियो ही नहीं, चिकित्सकों के लिए भी उपयोगी ये किताब अमेजन से मंगाई जा सकती है)
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